छत्रपति शिवाजी महाराज महाराष्ट्र यह मराठा साम्राज्य का निडर नेता था .शिवाजी महाराज एक बहुत ही बहादुर अत्यंत होशियार बहुत ही बुद्धिमान था. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जाता है उसने औरंगजेब जैसे बड़े राजा को धूल चटाई और कहीं का नहीं छोड़ा शिवाजी महाराज को पहाड़ी चूहा भी कहा जाता है अपने युद्ध को जीतने के लिए रात का भी उपयोग करते शिवाजी महाराज औरतों काफी इज्जत करते थे और इसीलिए उनके दरबार में कोई भी औरत का अपमान किया तो शिवाजी को सहन नहीं होता था शिवाजी महाराज किसी भी अंधविश्वास को नहीं मानते थे चलिए आज मैं आपको बताने जा रहा हूं शिवाजी महाराज के 10 प्रेरणादायक कथन के बारे में .
1.एक छोटा कदम छोटे लक्ष्म पर बाद में विशाल लक्ष भी हासिल कर देता है
2.स्वतंत्रता एक समान हक है और उसे पाने का हक सबको समान है
3.कोई भी कार्य करने से पहले उसका परिणाम सोच लेना हितकर होता है क्योंकि हमारी आने वाली पीढ़ी उसी का अनुसरण करती है
4.बदला लेने की भावना मनुष्य को जलाती रहती है संयम हिं प्रतिशोध को काबू करने का एकमात्र उपाय है
5. जब हौसले बुलंद हो तो पहाड़ भी एक मिट्टी का डेर लगता है
6.अगर मनुष्य के पास रेडमी बोलता बोलता ही आत्म बल है तो संसार संसार को अपने हौसलों से विजय पताका लहरा सकता है
7.जरूरी नहीं कि वह विपत्ति का सामना दुश्मन के सम्मुख सही करने में वीरता हो वीरता मैं तो विजय है
8. शत्रु को कमजोर ना समझो अत्याधिक वरिष्ठ समझ कर डरना भी नहीं चाहिए
9.शत्रु कितना भी बड़ा है शक्तिशाली हो मात्र योग्य बल से आत्मबल उत्साह से भी हराया जा सकता है
10.किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए नियोजन महत्वपूर्ण होता है केवल नियोजन से ही आप लक्ष्य पास है
11. जो व्यक्ति देश और सत्य के सामने झुकता है अगर संपूर्ण संसार करता है
1.एक छोटा कदम छोटे लक्ष्म पर बाद में विशाल लक्ष भी हासिल कर देता है
2.स्वतंत्रता एक समान हक है और उसे पाने का हक सबको समान है
3.कोई भी कार्य करने से पहले उसका परिणाम सोच लेना हितकर होता है क्योंकि हमारी आने वाली पीढ़ी उसी का अनुसरण करती है
4.बदला लेने की भावना मनुष्य को जलाती रहती है संयम हिं प्रतिशोध को काबू करने का एकमात्र उपाय है
5. जब हौसले बुलंद हो तो पहाड़ भी एक मिट्टी का डेर लगता है
6.अगर मनुष्य के पास रेडमी बोलता बोलता ही आत्म बल है तो संसार संसार को अपने हौसलों से विजय पताका लहरा सकता है
7.जरूरी नहीं कि वह विपत्ति का सामना दुश्मन के सम्मुख सही करने में वीरता हो वीरता मैं तो विजय है
8. शत्रु को कमजोर ना समझो अत्याधिक वरिष्ठ समझ कर डरना भी नहीं चाहिए
9.शत्रु कितना भी बड़ा है शक्तिशाली हो मात्र योग्य बल से आत्मबल उत्साह से भी हराया जा सकता है
10.किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए नियोजन महत्वपूर्ण होता है केवल नियोजन से ही आप लक्ष्य पास है
11. जो व्यक्ति देश और सत्य के सामने झुकता है अगर संपूर्ण संसार करता है
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