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Friday, July 27, 2018

TV चैनल और सीरियल पैसा कैसे कमाती है?

TV चैनल और सीरियल पैसा कैसे कमाती है?
Tv Serial

Hello दोस्तों हमारा टॉपिक है TV चैनल और सीरियल पैसा कैसे कमाती है. दोस्तो आपने देखा होगा कि पहले  एंटीना(Antenna) को सेट अप करके चैनल को ब्रॉडकास्ट किया जाता था और इसमें DD News, DD1 TV  चैनल थे . इसके बाद  Cable का जमाना आया  जिस के Through  हम TV देखते थे ,लेकिन Cable में लिमिटेड ही चैनल दिखते थे और केबल को ट्रांसफर करने में काफी दिक्कत होती थी.
फिर सेटेलाइट(Satellite) आया जिस पर हम TV देखते हैं ,इसमें सेट टॉप बॉक्स लगाया जाता है .Signal को सेटेलाइट तक पहुंचाया जाता है और फिर ग्राउंड पर  Broadast स्टेशन तक उसे ट्रांसफर किया जाता है इसके बाद भी रेवोलुशन(Revolution) आ ही रहा.

लेकिन आज हम बात करेंगे  TV चैनल सीरियल पैसा कैसे कमाती है.जो भी TV सीरियल बनता है  इसमें कई सारे एक्सपेंसेस (Expences)होते हैं जैसे कि Studio ,Shooting ,Actor की पेमेंट यह सब प्रोडक्शन हाउस Pay करता है. TV सीरियल के प्रोडूसर को चैनल को पैसे देने पड़ते हैं, सीरियल को चैनल पर दिखाने के लिए लेकिन कितने पैसे ? यह कैसे Decide होता है. TV का सबसे बड़ा  पैसे का source होता है एडवर्टाइजमेंट(Advertisement).आपको पता होगा सीरियल अगर 30 मिनट का है तो 12 या 10 मिनट की ADD होती है. इसमें अलग-अलग प्रोडक्ट की ADD देखने मिलती है .इसीलिए यह  कंपनी अपने प्रोडक्ट की ADD TV पर दिखाने के लिए  इन टीवी पर चलती है.लेकिन  इसमें ADD और Timing बहुत Matter करता है.कंपनी ADD को अलग-अलग पार्ट में  बनाती है.



For ex. 45 min , 30min , 15min and 10min 
क्योंकि  यह  add अलग-अलग प्लेटफार्म या फिर Show के अकॉर्डिंग यूज होती है और एक-एक सेकंड  के रेट बहुत हाय होते हैं.कई बार हम ऐड पूरा देखते हैं और फिर उसे Short किया जाता है .यह कंपनी की Strategy होती है  की Viewers  को ADD दिखाई दे और Cost भी ज्यादा ना लगे. इसके पैसे  Consumer Pay करता है.
आपको पता होगा  COCA-COLA की एक बोतल  60 paise  मैं बनती है लेकिन ADD और Consumer की वजह से वह ₹12 की हो जाती है. ADD का पैसा डिपेंड करता है की TV चैनल और सीरियल कितना पॉपुलर है  या फिर उसे कितने लोग देखते हैं .लेकिन यह  कैसे पता चलता है कि कौन सा TV चैनल और सीरियल ज्यादा बार देखा जा रहा है.किसके लिए यूज़ होता है टीआरपी(TRP) मतलब टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स(telivision Rating Points).

इसके लिए इंडिया में हजारों की संख्या में लोगों को choose  किया जाता है और उनके घर में एक डिवाइस बैठाया जाता है  यानी उनके TV में  वह डिवाइस अटैच किया जाता है.
जिसे पीपल मीटर (People Meter)भी कहते हैं. यह  डिवाइस Day to Day Basis  पर घर में कौन सा चैनल  या फिर प्रोग्राम चल रहा है वह नोटिस करता है.  प्रोग्राम का टीआरपी निकालने के लिए 30 Days का Average Time रहता है, India में यह काम INTAM (indian National Television Audiance Management)  कंपनी करती है. इससे TRP की Add होती है जिसकी बेसिस पर वह Decision लेते हैं.



For ex. एक TV सीरियल है जो रात के 8:00 बजे चालू होता है  और 8:30 बजे को खत्म होता है. इसमें 10 मिनट की Advertise होती है और इसके टीआरपी के हिसाब से 1 मिनट के 1 lac advertise  के पैसे होते हैं.
तो 10 मिनिट में 10 lac और एग्रीमेंट के अकॉर्डिंग चैनल के पास 6 lac  and प्रोडूसर के पास 4 lac .
इसमें से Actor and Actress को 2 lac बाकी लाइटनिंग, स्टूडियो उनको एक लाख .इस हिसाब से प्रोडूसर को एक एपिसोड का 1 lac का प्रॉफिट होता है

इसी तरह चैनल एंड प्रोडूसर के बीच Revenue Distribute होता है. इनके और भी  कई तरह से रेवेन्यू जनरेट होते हैं, जैसे कि इंटरनेट पर वीडियो अपलोड करना. आज तक सबके पास मोबाइल है  उनको ज्यादा फायदा होता है कि TV सीरियल मोबाइल पर ही  देखते हैं.और Sponsership  कई बार मूवीस को और Show को प्रमोट करते हैं और high TRP वाला सीरियल  इससे काफी अच्छा रेवेन्यू जनरेट करता है.

आजकल मोबाइल की क्रांति की वजह से सब कुछ बदल चुका है  तो आगे TV का भविष्य क्या होगा  यह हमें कमेंट करके बताइए



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